सालासर बालाजी धाम मंदिर का परिचय । Shri Salasar Balaji Dham Mandir Intro
सालासर बालाजी धाम मंदिर हिंदुओं का एक पवित्र स्थान हैं । सालासर बालाजी मंदिर में भगवान श्री राम के भक्त हनुमानजी की मूँछ वाली मूर्ति बनी हुई है
सालासर बालाजी मंदिर राजस्थान के चुरू जिले के सालासर शहर में स्थित है। सालासर बालाजी मंदिर मे हर साल चैत्र व अश्विन के महीनों में बहुत ही बड़ा मेला लगता है हनुमान जी का यह पवित्र मंदिर सालासर शहर के ठीक बीच में स्थित है भारतीय संस्कृति में हिंदुओं के पंचदेव प्रमुख हैं। पंच देवों का तेज पुंज हनुमान जी मे हैं।
ग्रन्थों में सात करोड़ मन्त्रों में हनुमान जी की पूजा का विशेष उल्लेख किया है। राम भक्त रूद्र अवतार सूर्य.शिष्य वायु.पुत्र केसरी नन्दन महाबल श्री बालाजी के नाम से प्रसिद्ध माता अन्जनी के लाल हनुमान जी में पांच देवताओं का तेज समाहित हैं
सालासर बालाजी पूरे देश में पूजे जाते हैं और सभी के आराध्य देव हैं । अत्यधिक बलशाली होने के कारण इन्हें बालाजी की उपाधि दी है। हर क्षेत्र में हनुमान जी की पूजा की अलग परम्परा है। वीर भूमि राजस्थान में बालाजी के नाम से विख्यात हनुमान जी के अनेक प्रसिद्ध मन्दिर हैं जिनमें सालासर के चमत्कारी श्री सालासर बालाजी मन्दिर का बहुत ही महत्व है।
श्री सालासर बालाजी मन्दिर कहां स्थित है
सालासर बालाजी राजस्थान के चुरू जिले की सुजानगढ़ तहसील में स्थित है। सुजानगढ़ से 25 किलोमीटर दूर मरूस्थल के टीलों के बीच सालासर का पावन मंदिर है। सालासर के हर कण में श्री बालाजी बसे हैं। श्री सालासर बालाजी मन्दिर राजस्थानी शैली में निर्मित विशाल एवं सुंदर मन्दिर है।
सालासर बालाजी मंदिर का इतिहास , सालासर धाम की स्थापना कब हुई थी ?
सालासर बालाजी की मूर्ति आसोटा गांव के एक खेत में प्रकट हुई थी। भक्त मोहनदास को बालाजी के प्रथम दर्शन हुए थे भक्त मोहनदास ने श्री बालाजी महाराज की प्रेरणा से लगभग 253 वर्ष पहले विक्रमी सम्वत् 1811 सन 1754 श्रावन शुक्ल नवमी शानिवार को श्री सालासर बालाजी की प्रतिष्ठा हुई। भक्त मोहनदास व उनकी बहन कान्ही बाई ने भक्ति भाव से बालाजी की पूजा अर्चना की और बालाजी के साक्षात् दर्शन प्राप्त किए। श्री सालासर बालाजी एवं मोहनदास जी आपस में वार्तालाप भी किया करते थे।
सालासर बालाजी मन्दिर की मूर्ति
सालासर बालाजी मन्दिर दर्शन बालाजी की भव्य मूर्ति सोने के बड़े सिंहासन पर बनी हुई है। श्री राम दरबार भी ऊपर बना हुआ है नीचे श्री राम के चरणों में दाढ़ी मूंछ वाले हनुमान जी श्री बालाजी के रूप में बैठे हुए हैं।मूर्ति शालिग्राम पत्थर की है जिसे गेरूआ रंग और सोने से सजाया गया है। सालासर बालाजी का रूप बहुत ही आकर्षक एवं सुंदर हैं। जिसके चारों ओर सोने की सजावट की है ।और सोने का रत्न जडि़त भव्य मुकुट भी पहने हुए है। मूर्ति पर लगभग 5 किलो सोने का छत्र भी शोभायमान है।
सालासर बालाजी मन्दिर क्यों प्रसिद्ध है ?
सालासर बालाजी मन्दिर के अंदर अखण्ड दीप प्रज्वलित हैं। अन्दर प्राचीन कुएं का लवण मुक्त जल आरोग्यवर्धक है। श्रद्धालु यहां स्नान कर अनेक रोगों से छुटकारा पाते हैं। प्राचीण धूणां आज भी जल रहा है। जांटी का वृक्ष आज भी मौजूद हैं जिस पर भक्त नारियल एवं ध्वजा चढ़ाते हैं एवं लाल धागे बांधकर मन्नत मांगते हैं। मन्दिर के ऊपर स्थापित भारतीय संस्कृति की झलक देने वाली लाल ध्वजाएं अनवरत रूप से लहराती रहती हैं।
अंजनी माता का मन्दिर
श्री सालासर बालाजी मन्दिर से पहले श्री अंजनी माता का मन्दिर भी है। अंजनी माता मंदिर भव्य एवं सुंदर हैं, सालासर आने वाले यात्री पहले श्री अंजनी माता मन्दिर में पूजा करते हैं । बाद में श्री बालाजी मन्दिर जाते हैं। पैदल आने वाले यात्री हाथों में लाल घ्वजा लाते हैं।
सालासर बालाजी भोग प्रसाद
श्री सालासर बालाजी की पूजा अर्चना भक्त श्री मोहनदास जी के वशंजों द्वारा की जाती है। बालाजी के भोग में चूरमा के लड्डू पेड़े मिश्री व मेवा चढ़ाए जाते हैं। इसके अलावा रोट और खिचड़ा भी बालाजी के भोग हैं।
श्री सालासर बालाजी महाराज की कृपा से भक्तजनों की मनोकामनाओं की पूर्ति के उपरांत यहां जात जडुले ध्वजा नारियल तथा छत्र आदि भेंट किए जाते हैं। सवामणी बहुत ही प्रचलित है
मंगलवार तथा शानिवार के दिन यहां श्रद्धालुओं की संख्या अधिक होती है। चैत्र मास अप्रैल और आश्विन मास अक्टूबर की पूर्णिमाओं पर यहां विशाल मेला भरता है ,मेला काफी दिनों तक चलता है। इस अवसर पर श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में होती हैं। पैदल चलकर भी लाखों श्रद्धालु आते है। राजस्थान के अलावा पंजाब हरियाणा मध्यप्रदेश दिल्ली उत्तरप्रदेश सहित पूरे देश से यात्री यहां पर आते हैं।
सवामणी क्या होती है
सवामणी श्री सालासर बालाजी महाराज को अर्पित की जाने वाले सवामण लगभग 50 किलो भोग सामग्री होती है। यह भोग सामग्री एक ही प्रकार की होती है जो लड्डू पेड़ा बर्फी व चूरमा होते हैं ज्यादातर सवामणी बेसन के लडड्ओं की होती हैं। भोग लगाने के बाद सवामणी को भक्तों को बांट दिया जाता है।
सालासर बालाजी मंदिर का समय
Darshan Timing: 5:30 AM to 8:45 PM
Mangla Aarti: 5:30 AM
Mohandas Ji Aarti: 6:00 AM
Rajbhog Aarti: 10:15 AM
Dhoop Gwal Aarti: 5:00 PM
Mohandas Ji Aarti: 5:30 PM
Sandhya Aarti: 6:00 PM
Bal Bhog Stuti: 7:00 PM
Shayan Aarti: 9:00 PM
Rajbhog Mahaprasad Aarti (Only on Tuesday): 11:00 AM
सालासर बालाजी मंदिरकैसे पहुंचे
Near by Railway Station Salasar Balaji
Sujangarh 38 min 27 km
Salasar Balaji Near by Bus Station
Salasar7 min 700 m
Salasar Balaji Near by Airport
- Jaipur
3 hr 20 min (184 km) - Kishangarh3 hr 29 min (163 km)
सालासर बालाजी मंदिर के पास रहने के लिये 25+ धर्मशाला व 30+ होटल है सालासर बालाजी मंदिर के पास श्री खाटू श्याम जी की दूरी 90 किलो मीटर है
जयपुर से सालासर बालाजी कितनी दूर है?
जयपुर से श्री सालासर बालाजी 299 कि. मी. की दूरी पर है।
सालासर बालाजी मंदिर में मेला कब लगता है ?
चैत्र माह की पूर्णिमा और आश्विन माह की पूर्णिमा को सालासर बालाजी मंदिर में मेला लगता है
सालासर बालाजी मंदिर का समय ?
सालासर बालाजी मंदिर दर्शन का समय 5:30 AM to 8:45 PM होता है
चूरू से सालासर बालाजी कितनी दूर है ?
चूरू से सालासर बालाजी 76.6 km via NH52 और NH58 1 hr 18 min का समय