Shri Pitambara Peeth Datia श्री पीताम्बरा पीठ दतिया

Shri Pitambara Peeth Datia भारतवर्ष के हृदय क्षेत्र मध्य प्रदेश में स्थित दतिया नामक नगर अपने पौराणिक एवं ऐतिहासिक महत्व के लिए विश्व विख्यात है। कहा जाता है कि इस नगर का नाम शिशुपाल के भाई दन्तवक्त्र के नाम पर पड़ा जो कि कालान्तर में दतिया नाम से प्रसिद्ध हुआ।

Pitambara Peeth Datia History पीताम्बरा मन्दिर दतिया का इतिहास

समस्त श्रृष्टि की महाराज्ञी भगवती श्री पीतांबरा के बारें में सामान्य भाव से सोचने पर मन को अपनी तुच्छता का अहसास होता है। मन कहता है, भला इतनी बड़ी महारानी कभी मेरे बारे में सोचती होंगी? पर सत्य तो यह है कि जिस क्षण आप हमारे बारे में सोचना बंद कर देंगी उसी क्षण हमारा अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। आप तो सृष्टि का भार विष्णु इत्यादि को सौंप कर सदा हमारा पालन पोषण करती रहती हैं। उदाहरणार्थ आप एक कुल-वधु को देखें, कुल-वधु अपने भरे-पूरे परिवार के कार्यों में सदा व्यस्त रहती हैं लेकिन जब मां बनती हैं तो उनका मन केवल अपनी संतान पर लगा रहता है और वह जैसे-तैसे अन्य कार्यों को निपटा कर सदा अपनी संतान के पास जाने को व्याकुल रहती हैं। ठीक इसी प्रकार से भगवती श्री पीतांबरा माई का भी प्रेम है। जिस प्रकार से कुल-वधु की संतान अबोध होने के कारण अपनी मां के परिश्रम व प्रेम को नहीं जान पाती उसी प्रकार से हम अज्ञानी भी माई के प्रेम को नहीं जान पाते। माई के इस प्रेम का साक्षात्कार हमें श्रीसद्गुरुदेव श्री स्वामी जी महाराज ने कराया है। आपने अपने तपोबल व करुणार्द हृदय से हम जैसे संसारी मनुष्यों को माई के प्रेम को अनुभूत कराने हेतु वैशाख शुक्ल चतुर्थी (सन् उन्नीस सौ चौतीस) को भगवती के श्री पीतांबरा पीठ की स्थापना की है। कहते हैं जिसे भगवती के दर्शन हो जाए वह सिद्ध हो जाता है मन सोचता है कि जो नित्य लाखों को भगवती के दर्शन कराए वह तो शिव ही होंगे।
पीठ परिचय

Shri Pitambara Peeth Datia information पीताम्बरा पीठ दतिया मन्दिर जानकारी

जुलाई १९२९ को एक युवा संन्यासी झाँसी से ग्वालियर जाते हुए एक रात के लिए इस नगर में रुके। इस छोटे से शहर में संस्कृत के नाना उद्भट विद्वानों को देखकर वे यहीं के हो कर रह गए। उन महात्मा का नाम कोई नहीं जानता था इसलिए नगरवासी उन्हें ससम्मान ‘श्री स्वामी जी महाराज’ कहने लगे। नगर के विविध स्थानों पर रहते हुए दिसंबर १९२९ को वे श्री वनखण्डेश्वर परिसर में पहुँचे। इस स्थान को देखते ही यहाँ पूर्व में हुई तपस्याओं का तेज उन्हें प्रतीत हुआ, जिससे आनंन्दित हो त्रिकालज्ञ श्री स्वामी जी ने वहीं पर रहकर तप करने का निश्चय किया। परिसर में ही एक छोटा सा कमरा था जिसपर खपरैल की छत थी एवं उत्तर दिशा में एक टूटा दरवाज़ा था, जो बन्द तक नहीं होता था। श्री स्वामी जी ने इसी कक्ष में पाँच वर्ष तक तपस्या करने के पश्चात ज्येष्ठ कृष्ण पञ्चमी संवत् 1992 विक्रमी (1935 ई०) को श्री पीताम्बरा माई की प्राण प्रतिष्ठा की। आज यह कक्ष माई के मन्दिर का गर्भ गृह है और यह स्थान समस्त ब्रहमाण्ड में श्री पीताम्बरा पीठ के नाम से विख्यात है।जो कि 51 शक्तिपीठों में से एक है

Shri Pitambara Peeth Datia me Temple पीताम्बरा मन्दिर दतिया में अन्य मन्दिर

वर्णित महाभाग भगवती श्री पीताम्बरा के अलावा, पीठ अन्य देवताओं के तेज से दैदीप्यमान है। पीठ में भगवती श्री विद्या, भगवती श्री धूमावती, श्री वनखण्डेश्वर महादेव जी, श्री विद्या साधना के प्रधान ऋषियों में भी अग्रणी भगवान श्री परशुराम, श्री हनुमान जी, श्री कालभैरव जी एवं श्री बटुक भैरव जी, तन्त्रशास्त्र के आख्याता श्री षडाम्नाय शिव, श्री स्वामी जी की समाधि पर विराजमान श्री अमृतेश्वर महादेव, भगवती श्री पीताम्बरा द्वारा भगवान कच्छप की सहायता हेतु किए गए चरित्र निर्वहन के प्रतीक रूप में श्री हरिद्रा सरोवर एवं अपने मंदिर, कक्ष एवं पीठ के कण-कण में जीवंत श्री स्वामी जी महाराज की साक्षात उपस्थिति से पीठ उद्दीप्त है।

Shri Peetambara peeth Datia
पीताम्बरा माता

इन समस्त देवताओं की कृपा से सिंचित पीठ से यह राष्ट्र एवं माई के भक्त अनुगृहीत हैं।


पीताम्बरा पीठ कैसे पहुंचा जाये: How To Reach Pitambara Pith Datiya


हवाईजहाज से पीताम्बरा मन्दिर दतिया


हवाई अड्डे के पास ग्वालियर में है जो दतिया से 75 किमी दूर है।

ट्रेन से पीताम्बरा मन्दिर दतिया


यह रेल मार्गों से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। पीताम्बरा पीठ रेलवे स्टेशन से 2 किमी दूर है।

सड़क द्वारा पीताम्बरा मन्दिर दतिया


दतिया ग्वालियर, झांसी, कानपुर, जयपुर, इंदौर आदि से सड़क परिवहन से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।

ग्वालियर से पीताम्बरा देवी मंदिर कितनी दूर है?

पीताम्बरा मन्दिर की दूरी ग्वालियर से लगभग75 किलोमीटर है

दतिया में कोनसी शक्तिपीठ है ?

पीताम्बरा पीठ दतिया शहर मे स्थित देश का एक प्रशिद्ध पीताम्बरा शक्तिपीठ है ! श्री गोलोकवासी स्वामीजी महाराज के द्वारा इस स्थान पर “बगलामुखी देवी ” तथा “धूमवाती माता ” की स्थापना की गयी थी ! पीताम्बरा पीठ मे स्थित वनखण्डेश्वर मंदिर एक महाभारत कालीन शिव मंदिर भी है !

दतिया का पुराना नाम क्या था ?

दतिया को अन्य नामों से भी जाना जाता है, बे नाम हैं सतखंडा ,गोविंद, देव बीर सिंह महल, पुराना महल, आदि

दतिया किले का निर्माण किसने करवाया था?

किला दतिया शहर के पश्चिमी किनारे पर एक चट्टान पर बना है। किला राजपूत वास्तुकला के साथ-साथ मुगल वास्तुकला का प्रतिनिधित्व करता है। दतिया किला राजा बीर सिंह देव द्वारा बनवाया गया था।

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